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तेलवाडा में सामाजिक समरसता और प्राचीन परम्परा के साथ तालाब हिलोर का कार्यक्रम धुमधाम से सम्पन्न



सिवाना(तेलवाडा): तेलवाडा गांव से कृष्ण जन्माष्टमी के पर भाई-बहनों ने समंदर हिलोरने की परम्परा का निर्वहन किया। शुक्रवार को तेलवाडा  में गांव के तालाब पर सर्व समाज की ओर से सामाजिक समरसता के तहत श्री गोगाजी धाम मंदिर से समंदर हिलोरने का सामूहिक कार्यक्रम रखा गया। सिर पर शृंगारित मटका लेकर तालाब पर पहुंची महिलाएं व उनके भाइयों ने पानी में मटके को हिलाया तथा एक-दूसरे को अपने हाथों से पानी पिला आशीर्वाद स्वरूप स्वस्थ जीवन व दीर्घायु की कामना की। जानकार लोगों ने कि प्राचीन परम्परा से यह प्रथा चलाई कि एक साल में 365 दिन होते है और हर एक महिला एक महीने में 365 तगारी मिट्टी खोदेगी तथा नाडी-तालाब का निर्माण करेगी। इस प्रकार हर गांव में हजारों महिलाओं ने असंख्य बरसाती पानी सहजने के लिए स्रोतों को बनाकर खड़ा कर दिया। महिलाओं की ओर से किए गए श्रमदान के एवज में भाई अपनी बहनों को आज भी भेंट पूजा अर्पित कर उसके सुखमय जीवन की कामना करता है।
पिंटू सुथार ने बताया कि 25 वर्ष बाद यह पहला सम्पूर्ण ग्रामवासियों ले भाग जो कि
तालाब पर शुक्रवार को भाई-बहिनों ने समंदर हिलोरा तथा एक-दूसरे को पानी पिलाकर भेंट-पूजा अर्पित की। इस दौरान नव वस्त्राभूषणों से सजे-धजे महिला-पुरुष ढोल-थाली की टंकार व डीजे की सुमधुर स्वरलहरियों पर नाचते-गाते तालाब पर पहुंचे और पौराणिक परंपरा समंदर हिलोरने का निर्वहन किया। सिर पर शृंगारित मटका लेकर गांव के तालाब पर पहुंची महिलाएं व उनके भाइयों ने पानी में मटके को हिलाया तथा एक-दूसरे को अपने हाथों से पानी पिला आशीर्वाद स्वरूप स्वस्थ जीवन व दीर्घायु की कामना की, वहीं भाइयों ने बहनों को भेंट-पूजा अर्पित कर पवित्र प्रेम का संदेश दिया। इस का ठा. सुरसिंहजी,ठा जेठूसिंह जी,  स्वामी जगदीश गिरी जी महाराज गोगाजी मंदिर,गणपत सिंह, महेंद्र सिंह,सुरसिह, ओटाराम सुथार, नरसा भायल, भोपाजी चमनाराम, आम्बसिंह, जसाराम, प्रजापत, मीठारामदेवासी, वीरमारामदेवासी, भलाराम सुथार, पारस मेघवाल, लादाराम भील, सुजाराम भील, बगदाराम सुथार, असलाराम प्रजापत, मांगीलाल पुरोहित, चौपाराम मेघवाल आदि समस्त तेलवाडा ग्रामवासी गोगाजी मंदिर, रामदेव जी,सच्चियामाता मंदिर, जगमालभारती समाधि मंदिर प्रसाद चढ़ाकर मथाटेकर आशीर्वाद प्राप्त एवं गायों बीमारी का कष्ट दुर करने कि कामना कि जिसमें महिलाएं, पुरुष बच्चे सैकड़ों संख्या में मौजूद रहे।